उस रात की तन्हाई के,
सब रंग बदल गये हैं.
चांद निकला है वैसे ही,
अन्धेरे बदल गये हैं,
जिनके भरोसे थी खुशियां,
वो बादल ठहर गये हैं.
मंजिले तो अब भी वही हैं,
कुछ रास्ते बदल गये हैं.
जिन पे किया था भरोशा हमने,
वो दोस्त बिछड गये हैं.
देखे थे जो हमने,
वो ख्वाब बदल गये है.
जो बनाये थे कभी हमसफ़र,
आज वो ही मुकर गये हैं.
इस टूटे हुये दिल के,
सारे जज्बात बदल गये है
ना बदला कभी जमाना,
ना बदले जमाने के खयाल,
बस रोना है यही
कुछ लोग बदल गये हैं .....
Sunday, February 11, 2007
एहसास
उसको मेरा हल्का सा एहसास तो है
बे-दर्द सही वो मेरी हमराज़ तो है
वो आए ना आए मेरे पास लेकीन
शिद्दत से मुझे उसका इंतेज़र तो है
अभी नही तो क्या हुआ, मील ही जाएगी कभी,
मेरे दिल में उस से मी लने की आस तो है
प्यार की गवाही मेरे आँसुओं से ना माँग,
ब्रस्टी नही आँखें मगर दिल उदास तो है.
बे-दर्द सही वो मेरी हमराज़ तो है
वो आए ना आए मेरे पास लेकीन
शिद्दत से मुझे उसका इंतेज़र तो है
अभी नही तो क्या हुआ, मील ही जाएगी कभी,
मेरे दिल में उस से मी लने की आस तो है
प्यार की गवाही मेरे आँसुओं से ना माँग,
ब्रस्टी नही आँखें मगर दिल उदास तो है.
मेरा सर्वस्व
मेरा आत्म हो तुम
मेरा सर्वस्व हो तुम
मेरी जिन्दगी का सबसे हसीन पल हो तुम,
फिर तन्हा हो कर, मै आँसु बहाने लगता हुँ
तुम्हे देख कर मुस्कुराने लगता हुँ,
जब मै अकेला होता हुँ, आँखे नम हो जाती हैँ,
तुम हो न हो, तुम्हारी तस्वीर सामने आ जाती है ,
मेरा आत्म हो तुम, मेरा सर्वस्व हो तुम
मेरी जिन्दगी का सबसे हसीन पल हो तुम
मेरा आत्म हो तुम
मेरा सर्वस्व हो तुम
मेरा सर्वस्व हो तुम
मेरी जिन्दगी का सबसे हसीन पल हो तुम,
फिर तन्हा हो कर, मै आँसु बहाने लगता हुँ
तुम्हे देख कर मुस्कुराने लगता हुँ,
जब मै अकेला होता हुँ, आँखे नम हो जाती हैँ,
तुम हो न हो, तुम्हारी तस्वीर सामने आ जाती है ,
मेरा आत्म हो तुम, मेरा सर्वस्व हो तुम
मेरी जिन्दगी का सबसे हसीन पल हो तुम
मेरा आत्म हो तुम
मेरा सर्वस्व हो तुम
नन्हा सा चेहरा
एक नन्हा सा चेहरा, बहुत याद आता है मुझे,
जब भी खुश होता हुँ, उस खुशी मेँ उसका न होना,बहुत सताता है मुझे,
भुल जाता हुँ सब गम, जो जमाना देता है,
उसक हर अदा मेँ, इस कदर लुत्फ आता है मुझे,
बोलता हुँ उसी की जुबा, और कोई जुबा याद नही रहती,
अपनी थथलाती आवाज मेँ, जब वो प्यार के गीत सुनाता है मुझे,
वो रुठना उसका, वो मनाना उसका,वो हसना उसका, वो रुलाना उसका,
उसकी हर बात से लगता है युँ,
जैसे मेरा बचपन बुलाता है मुझे,
मै जानता हुँ कि,
मुझे याद करके बहुत रोयेगा वो,
इसलिये खुश होता है नवी, जब वो भुल जाता हैँ मुझे!
जब भी खुश होता हुँ, उस खुशी मेँ उसका न होना,बहुत सताता है मुझे,
भुल जाता हुँ सब गम, जो जमाना देता है,
उसक हर अदा मेँ, इस कदर लुत्फ आता है मुझे,
बोलता हुँ उसी की जुबा, और कोई जुबा याद नही रहती,
अपनी थथलाती आवाज मेँ, जब वो प्यार के गीत सुनाता है मुझे,
वो रुठना उसका, वो मनाना उसका,वो हसना उसका, वो रुलाना उसका,
उसकी हर बात से लगता है युँ,
जैसे मेरा बचपन बुलाता है मुझे,
मै जानता हुँ कि,
मुझे याद करके बहुत रोयेगा वो,
इसलिये खुश होता है नवी, जब वो भुल जाता हैँ मुझे!
धुआँ
आज भी जब मै सोचता हुँ कि मै क्या हुँ
तो लगता है कि बस धुआँ हुँ
जो मचलता रहता है पाने को एक आसमान
जो हिचकता रहता है कहने को कुछ अरमान,
क्या क्या नही जला दिया मैनेँ
इस धुआ बन जाने को,
पर मिला क्या
अवशेष भी बिखरे है जाने कहाँ,
लगता है कि बस धुआँ हुँ,
आज भी जब मै सोचता हुँ कि मै क्या हुँ
तो लगता है कि बस धुआँ हुँ
जो मचलता रहता है पाने को एक आसमान
जो हिचकता रहता है कहने को कुछ अरमान,
क्या क्या नही जला दिया मैनेँ
इस धुआ बन जाने को,
पर मिला क्या
अवशेष भी बिखरे है जाने कहाँ,
लगता है कि बस धुआँ हुँ,
आज भी जब मै सोचता हुँ कि मै क्या हुँ
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