एक नन्हा सा चेहरा, बहुत याद आता है मुझे,
जब भी खुश होता हुँ, उस खुशी मेँ उसका न होना,बहुत सताता है मुझे,
भुल जाता हुँ सब गम, जो जमाना देता है,
उसक हर अदा मेँ, इस कदर लुत्फ आता है मुझे,
बोलता हुँ उसी की जुबा, और कोई जुबा याद नही रहती,
अपनी थथलाती आवाज मेँ, जब वो प्यार के गीत सुनाता है मुझे,
वो रुठना उसका, वो मनाना उसका,वो हसना उसका, वो रुलाना उसका,
उसकी हर बात से लगता है युँ,
जैसे मेरा बचपन बुलाता है मुझे,
मै जानता हुँ कि,
मुझे याद करके बहुत रोयेगा वो,
इसलिये खुश होता है नवी, जब वो भुल जाता हैँ मुझे!
Sunday, February 11, 2007
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