उस रात की तन्हाई के,
सब रंग बदल गये हैं.
चांद निकला है वैसे ही,
अन्धेरे बदल गये हैं,
जिनके भरोसे थी खुशियां,
वो बादल ठहर गये हैं.
मंजिले तो अब भी वही हैं,
कुछ रास्ते बदल गये हैं.
जिन पे किया था भरोशा हमने,
वो दोस्त बिछड गये हैं.
देखे थे जो हमने,
वो ख्वाब बदल गये है.
जो बनाये थे कभी हमसफ़र,
आज वो ही मुकर गये हैं.
इस टूटे हुये दिल के,
सारे जज्बात बदल गये है
ना बदला कभी जमाना,
ना बदले जमाने के खयाल,
बस रोना है यही
कुछ लोग बदल गये हैं .....
Sunday, February 11, 2007
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